भानगढ़ का किला राजस्थान | Bhangarh Ka Kila Rajasthan

Bhangarh ka kila rajasthanसबसे प्रेतवाधित और ऐतिहासिक स्थान भानगढ़ का किला  (Bhangarh Kila) राजस्थान राज्य  के अलवर जिले में स्थित है। यह किला भारत के साथ दुनिया में भूतों के लिए जाना जाता है, इसलिए इसे “भूतों का किला” या भुतिया किला भी कहा जाता है। भानगढ़ किले का निर्माण सं  1573 में आमेर के राजा, भगवंत दास द्वारा करवाया गया था।

भानगढ़ का किला चारो और ऊँची दीवारों से घिरा हुआ है, किले के अंदर महल, हवेलियाँ और मंदिर तथा बाज़ार हैं, जो अब खंडहर बने चुके हैं।

भानगढ़ का किला चारों ओर से पहाड़ियों से घिरा हुआ है, जिसके कारण बरसात के मौसम में, यहाँ हर तरफ पहाड़ियों पर हरियाली नजर हैं।

भानगढ़ किला अलवर राजस्थान | Bhangarh ka kila Rajasthan

भानगढ़ का किला दुनिया के खूंखार किलों में से एक है। सूर्यास्त के बाद किले के अंदर प्रवेश और रुकने की अनुमति नहीं दी जाती है, क्योंकि सूर्यास्त के बाद, किले की आत्माएं जाग जाती हैं और किले के अंदर विभिन्न आवाजें होती हैं, जिनमें चीखना, महिलाओं का रोना, चूडिय़ों और तलवारों की आवाज शामिल हैं।

ऐसा कहा जाता है कि जो कोई भी रात को भानगढ़ किले में रुका है, उसकी जान चली जाती है। भानगढ़ का किला दुनिया के सबसे डरावने स्थानों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि आज भी यहाँ भूत निवास करते हैं।

भानगढ़ किले की भूतिया कहानी | Bhangarh Fort Story in Hindi

भानगढ़ किले की भूतिया कहानी के लिए भानगढ़ का किला (Bhangarh ka Kila) विश्वभर में प्रशिद्ध है। इस किले को rajasthan ka bhutiya kila भी कहा जाता है।

किले के बारे में एक प्रसिद्ध कहानी है कहा जाता है कि भानगढ़ की राजकुमारी रत्नावती अपूर्व सुंदरी थी, उस समय उनके रूप की चर्चा पूरे राज्य में होती थी और देश के कोने कोने के राजकुमार उनसे शादी करने के लिए तैयार रहते थे।

उसी राज्य में, एक तांत्रिक सिंधिया रहते थे, जो कला जादू के स्वामी थे तांत्रिक सिंधिया भी राजकुमारी को पसन्द करता था और उसे  को प्राप्त करना चाहते थे।

एक दिन राजकुमारी अपने सहलियों  के साथ बाजार घुमने गई और एक इत्र की दुकान पर पहुंची और इत्र की एक बोतल उठाई और इत्र खुशुबू लेने लगी  पास ही खड़ा तांत्रिक सिंधिया यह सब देख रहा था तांत्रिक सिंधिया उस बोतल पर काला जादू कर दिया जब राजकुमारी को इस बात का अहसास हुआ तो राजकुमारी ने पास पड़े पत्थर पर उस बोतल को पटक दिया।

जिसके कारण बोतल टूट गई तथा इत्र उस पत्थर पर फैल गया और उस पत्थर ने तांत्रिक सिंधिया का पीछा किया और बाद में उसे से कुचल दिया। जिसके कारन तांत्रिक सिंधिया की मौत हो गयी ।

मरते समय तांत्रिक सिंधिया ने शाप दिया कि किले में रहने वाले सारे लोग जल्द ही मर जाएंगे और उनकी आत्माएं ताउम्र इस किले में भटकती रहेंगी।



सिंधिया के शाप का असर कुछ समय बाद भानगढ़ पर हुआ जिसके कारन, भानगढ़ और अजबगढ़ के बीच एक युद्ध हुआ जिसमें किले में रहने वाले सारे लोग मारे गए यहां तक की राजकुमारी रत्नावती भी तांत्रिक सिंधिया के इस श्राप से नहीं बच पाई। किले में रहने वाले सारे लोगो की आत्माएं अब भी इस किले के आसपास घूमती हैं।

Rajasthan ka Bhutiya Kila Bhangarh 

भानगढ़ किले के विनाश की एक और अन्य कहानी है। जिसके अनुसार जब पहाड़ी पर किला बनाया गया था। उसके कुछ ही दूरी पर ऋषि गुरु बालू नाथ तपोस्थली थी 

किले के निर्माण के लिए ऋषि गुरु बालू नाथ की एक शर्त यह थी कि यह उनकी तपोस्थली किले परछाई नहीं आनी चाहिए ।

लेकिन जब किला बनाया गया था तब राजा भगवंत दास ने तो शर्त का पालन किया लेकिन उसके उत्तराधिकारी यह भूल गये जिससे किले के खंभों की छाया तपस्वी के तपोस्थली पर पड़ गई। जिसके कारण तपस्वी नाराज हो गया जिससे उसने श्राप से किले रहने वाले लोग और आसपास के गांवों को बर्बाद कर दिया। 

इस प्रकार भानगढ़ किला एक श्रापित किला बना।  

भानगढ़ का प्रवेश द्वार सूर्यास्त और सूर्योदय के बीच निषिद्ध है। यह भारत का सबसे प्रेतवाधित किला है।

 भानगढ़ किले तक कैसे पहुंचे 

भानगढ़ किले के पास नजदिकी रेलवे स्टेशन : – दौसा 30 किलोमीटर

भानगढ़ किले के पास नजदिकी हवाई अड्डा : – जयपुर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा 90 किलोमीटर

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